दुर्भावना से पीड़ित होने के बाद स्पीकर ने याचिका खारिज कर दी
दोनों याचिकाओं में कहा गया है कि राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष ने दुर्भावना से पीड़ित होकर, उनके समक्ष दायर याचिका को बिना सुनवाई के खारिज कर दिया। वह भी तब जब याचिकाकर्ता ने सुनवाई न करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। ऐसी स्थिति में, याचिकाकर्ता की याचिका को सारहीन बनाने के उद्देश्य से स्पीकर ने उनके समक्ष याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका में बनाए गए विधानसभा के आदेश का सत्यापन नहीं किया गया था।
दो याचिकाएँ दायर करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
दरअसल, सोमवार को पहली याचिका के निस्तारण के बाद विधानसभा सचिवालय से मदन दिलावर द्वारा दी गई केवल एक-पेज की सूचना को जल्दबाज़ी में चुनौती दी गई थी। लेकिन इसके बाद, उन्हें 22 जुलाई को अध्यक्ष द्वारा दिए गए आदेश की प्रति भी मिली। इस तरह, इस पूरे आदेश को दिलावर की दूसरी याचिका में चुनौती दी गई है।
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बसपा द्वारा आज याचिका दायर की जा सकती है
इस पूरे मामले में बहुजन समाज पार्टी द्वारा आज उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है। यह याचिका पार्टी महासचिव सतीश मिश्रा की ओर से दायर की जा सकती है। पार्टी ने कहा है कि बीएसपी एक राष्ट्रीय पार्टी है। ऐसी स्थिति में इसके विलय को तभी स्वीकार किया जा सकता है जब यह राष्ट्रीय स्तर पर हो। ऐसी स्थिति में, पार्टी 18 सितंबर 2019 को विधानसभा अध्यक्ष के विलय के आदेश को चुनौती दे सकती है।